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जंगल वह जगह है जहां के रहनेवाले लोग शहर वालों से ज्यादा प्यार भी करते है और शहर वालों से ज्यादा नफरत भी करते है। जंगल में रह कर बी वह देश के कानून को मानते है। शहर में जब की किसी हादसे का शिकार हो कर सड़क पर पड़ा होता है तो कोई शहरी उस के मुंह में पानी नहीं डालता। मगर जंगल में मरनेवाले को बचाने के लिए लोग अपनी जान लडा देते है। फिर भी अगर मरने वाले को नहीं बचा पाते है। तो मरने वाले के अधूरे अरमान को पूरा करना अपने जीवन का मकसद बना लेता है।
हमारी कहानी ऐसी ही दो हमशकल लड़कियों की है एक है जंगल की शेरनी और दूसरी डाकू रूपा।
जंगल की शेरनी - जंगली बांगडर से अपने बाप की मौत और बहन की बे-इज्जती का बदला लेना चाहती है। मगर वह जिंगारू के हाथों मारी जाती है। मरते मरते जंगल की शेरनी डाकू रूपा से वचन लेती है कि तुम मेरे दुश्मनों से बदला लो गी।
फिर क्या हुआ? क्या डाकू रूपा अपना वचन निभा सकी? किस तरह डाकू रूपा ने जंगल की शेरनी से बदला लिया? यह सब जानने के लिए देखिए पाली फिल्म निर्मित और कांति शाह द्वारा निर्देशित फिल्म “जंगल की शेरनी”।
[From the official press booklet]